सिडबी के बारे में

पर्यावलोकन

भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) की स्थापना 2 अप्रैल 1990 को संसद के एक अधिनियम के तहत, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र के संवर्द्धन, वित्तपोषण एवं विकास के लिए और साथ ही इसी तरह की गतिविधियों में संलग्न संस्थाओं के कार्यों का समन्वय करने हेतु प्रमुख वित्तीय संस्था के रूप में की गई।

लक्ष्य एवं दर्शन

लक्ष्य

सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों के लिए ऋण प्रवाह सुगम और सुदृढ़ बनाना तथा एमएसएमई पारितंत्र की वित्तीय एवं विकास संबंधी कमियों की पूर्ति करना।

दर्शन

सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम क्षेत्र को सुदृढ़, ऊर्जावान तथा वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्द्धी बनाने के उद्देश्य से उसकी वित्तीय और विकास संबंधी आवश्यकताओं की पूर्ति का एकल केंद्र बनना, सिडबी की छवि श्रेयस्कर और ग्राहक-मैत्र संस्था के रूप में स्थापित करना तथा आधुनिक प्रौद्योगिकियों का उपयोग करते हुए शेयरधारकों के धन की वृद्धि और सर्वोत्तम नैगम मूल्यों का संवर्द्धन करना।

निदेशक-मंडल

निदेशक मंडल

श्री सिवसुब्रमणियन रमण

अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक

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उद्-भव

सिडबी की भूमिका

भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक की स्थापना वर्ष 1990 में संसद के अधिनियम के अंतर्गत की गई। सिडबी को एमएसएमई क्षेत्र के संवर्द्धन, वित्त पोषण और विकास के तिहरी कार्य-सूची को क्रियान्वित करने और तत्-सम गतिविधियों में संलग्न विभिन्न संस्थाओं के कार्यों के मध्य समन्वय करने के लिए एक शीर्ष वित्तीय संस्था के रूप में कार्य करने के लिए अधिदेशित किया गया।

बैंक अपने अधिदेश का निष्पादन निम्नानुसार करता है

अप्रत्यक्ष वित्त – जो एमएसएमई क्षेत्र के वित्तपोषण में गुणक प्रभाव / व्यापक पहुंच पर आधारित है और इसे बैंकों, एसएफबी, एनबीएफसी, एमएफआई और नव युगीन फिनटेक के माध्यम से संचालित किया जाता है।

प्रत्यक्ष वित्त - एमएसएमई क्षेत्र में मौजूद ऋण अंतरालों को भरने का लक्ष्य है और इसे प्रदर्शनपरक और नवोन्मेषी वित्त उत्पादों के माध्यम से संचालित किया जाता है, जिसे ऋण प्रदायगी पारितंत्र द्वारा और प्रवर्द्धित किया जा सकता है।

निधियों की निधि – निधियों की निधि शृंखला के माध्यम से उभरते स्टार्टअप्स का समर्थन करके उद्यमिता संस्कृति को बढ़ाता है।

संवर्द्धन एवं विकास - क्रेडिट-प्लस पहलों के माध्यम से एमएसएमई क्षेत्र के समग्र विकास के लिए उद्यमिता और पथप्रदर्शन (हैंडहोल्डिंग) द्वारा नवोदित उद्यमियों को बढ़ावा देना।

सूत्रधार- सरकार की एमएसएमई उन्मुख योजनाओं के लिए नोडल एजेंसी जैसी भूमिकाओं के माध्यम से एक सूत्रधार की भूमिका का निर्वाह कर रहा है।

सिडबी की ऐतिहासिक यात्रा

वित्तीय आँकड़े

शेयरधारिता